दफ़न किये फिरते हैं, जिन यादों को दिल के किसी कोने में....
दुनिया के शोर के तले,
दबाये फिरते हैं, जिन तनहियों का शोर.....
छुपते फिरते हैं,
जिन मंज़रों से हम, दुनिया की इस भीड़ की ओट liye ...
फिर रूबरू होतें हैं उन्ही से, तनहा रातों में ,
जब फुस्फुता है सिरहाना कानो में फिर वाही बीतीं यादें,
जब मिलतीं हैं चादरों की सलवटों में छुपी वो यादें,
जो काँटों सी चुब कर,
करके आँखों को नम,
छोड़ जातीं हैं हमें इस इंतज़ार में की,
कब आकर थामेगी निंदिया रानी हमें,
और ले आएगी यादों की अँधेरे जंगल से परे
रौशनी के उजालों क तले|
रौशनी के उजालों क तले|
14 comments:
i sense a song there somewhere :)
its melodious n fragrant like flowers of raat ki rani :)
Nice one... Loved it :)
Beautiful.
Specially the ending.
=)
lovely, keep going.
@Adee do u really think so?
better and better
@Comobong thanku :)
@Punkter i promised wld keep getting crap to read on :)..i kept my promise
@romeomustdie thanku
@serendipity thanku neerjaji :)
bravo!!
"हैं चादरों की सलवटों में छुपी वो यादें" - Loved this line. Absolutely.
You should write more.
@vijay thanku :)
@tantanoo thanku...& i'll keep writing, 'cuz i can' help dishing out my silly thoughts, it's d poor reader who suffers.
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