मानव, का आधार ह क्या?
क्यों कहलाता मानव, मानव?
क्यों कहलाता प्राणिमात्र में, सर्वश्रेठ प्राणी, यह मानव ?
क्यों कहलाता मानव, मानव??
मानव, का आधार ह क्या?
क्यों कहलाता मानव, मानव??
उठता प्रशन विचलित चित में यह, जब दीखता संहार मानव का, मानव के ही हाथों,
जाती, धर्म, धन, संपदा, धरती के कारण
क्यों कहलाता प्राणिमात्र में, श्रेठ्तम प्राणी, यह मानव?
क्यों कहलाता मानव, मानव?
मानव, का आधार ह क्या?
क्यों कहलाता मानव, मानव??
क्या मानवता, धर्म, नहीं ह केवल एक हमारा ??
क्या मानव, जाती, केवल एक नहीं हमारी ??
क्या धरा नहीं यह स्रोत, जीवन, का एकमात्र भ्रमांड में ??
क्या मानवप्रेम नहीं ह, संपदा, सबसे बड़ी हमारी ??
फिर,
क्या हुआ ह, हे मानव ??
क्यों नहीं रहा, मानव, मानव??
क्यों बन गया ह, सर्वश्रेठ प्राणी, यह, एक हीन जानवर ??
क्यों बन रहा ह, सर्वश्रेठ प्राणी, यह, अपने ही विनाश का कारण ??
मानव, का आधार ह क्या ??
क्यों कहलाता मानव, मानव??
( My acknowledgments to my twitter buddies @pallaviade @sakthidharan who suggested me to ask @khushikiduniya, who finally helped me to post this poem in hindi & also @viveksingh thank you all very much.
This is my first & only poem in Hindi, i wrote it quite some time back, just publishing it now, & since my hindi is not very good kindly forgive me and point out if i have made some grammatical mistakes)
9 comments:
:)
aisi koi baat nahi. ye acchi hai.
take care.
Brilliant Effort!!!
:O aap student ho?? lekin kitna gahera soch ke likha hain... *hats off 2 U * aur hamein thanks kahne ki jarurat nahi...kyunki shayad aap humse bhi acchi hindi likh lete hain.
keep writing dear...
Mujhe Hindi mein toh comment likhana nahi aayega toh english mein kehti hu... feeling wahi rahegi...
You said something very true. we seem to forget that we are humans and God created us for a specific purpose.
The poem is brilliant.Keep more hindi as well as english ones coming. You know u have a reader, in me, always. :)
Wahhah!
kitni geheri soch hai! maashallah!
Great!
conversational and philosophical... :)
thankyou all for u'r appreciation & comments :)
मानव आज भी मानव "प्राणी" इस वजह से कहलाता है क्यूंकि उसमें आज भी हिंसा बाकी है. मानवता धर्मं समझने के लिए हमारे अन्दर के प्राणी के परे रहकर कुछ सोचना चाहिए हमें. तुम्हारी यह कविता प्रथम प्रयास के लिए बहुत ही अच्छी है. जो महत्वपूर्ण संदेस तुमने तुम्हारे पढने वालों को दिया है वह काबिले तारीफ़ है. लिखती रहो.
GBU
Arti
omg...
That was the best hindi poetry ive ever read...!!..(no am not sayin it coz you are my friend..but yea its really Awesome!!)
very well written...
my fav line...
"kyu manav ban gaya ek heen jaanvar"
Too good sweetu!!
keep it up!!
And ye kisi bhi angle se teri first poem nai lagti!!...its that good!!
ohh i better stop now!!=)
nice 1 :)
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