Thursday, September 17, 2009

काश

काश,
ना केवल एक शब्द, अपितु एक एहसास.
जो लाता ह, अपने साथ,
वो भूलीं बीसृं याद, वो दिल में बासी हुईं आस.
काश,
ना केवल एक शब्द, अपितु एक प्रतिबिम्ब,
जो दिखाता ह हमे, वो अनगिनत शामें,
जो सूरज के ढलने से और चाँद निकालने  के बाद,
बन गयीं सूनी सूनी सी रातें .


काश,
जो अब याद दिलाता है,
वो अनकही बातें,
जो दिल से निकल कर, टहर गयीं, हूठों पे आते आते
वो गुज़रे हुए पल,
जब किसी को सहलाने के लिए रुक गए, हाथ उठते उठते


काश,
के हम, कह पाते वो, अनकहीं बातें,
जी पाते, वो बीत गयीं रातें,
पूरे कर पाते, वो अरमान,
जो केवल बन के रह गए, अब भूली बिसरी यादें


इसलिए,
कह दो, आज, जो दिल कहना चाहता ह,
कर लो, आज, जो मन कहता ह,
कौन जाने, अगले पल में क्या रखा ह?
इसलिए जी लो इस पल को,
और भर लो, जीवन को, उन यादों से,
जो कभी न चुनें दें तुम्हें,
काश, के एहसास को .


(my second poem in hindi, thanks to all the encouragement i got from my friends..which i'm sure they'll contain once they see my response....but really i'am amazed at myself, that even with the my limited hindi, i can manage to churn up something near about to verses!!!!!!! )

2 comments:

Arti Honrao said...

काश!!

*sigh*



GBU
Arti

Pallavi said...

Kash! mein itni aachi kavita likh paati.. Brilliant Effort!